कृषि क्षेत्र में अपरिमित संभावनाओं के द्वार खोलकर कैसे किसानों को अग्रणी और आत्म-निर्भर बनाया जा सकता है, इसका मध्यप्रदेश स्वर्णिम आदर्श प्रस्तुत कर रहा है। दरअसल कोरोना काल की अप्रत्याशित और अभूतपूर्व चुनौतियों के बीच मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने लोक-कल्याणकारी कार्यों से मिसाल कायम की है। इसका उदाहरण कृषि क्षेत्र में मिल रही ऐतिहासिक उपलब्धियाँ और सफलताएँ हैं, जिनकी सराहना प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भी की है।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं किसान हैं और वे किसानों के हितों के लिए प्रतिबद्धता से कार्य करने के लिए जाने जाते है। उनके डेढ़ दशक से ज्यादा के कार्यकाल में कृषि के क्षेत्र में नवाचार और आधुनिकीकरण पर ध्यान दिया गया है। इसके दीर्घकालीन प्रभाव ही है कि कृषि कर्मण अवार्ड को लगातार जीतकर प्रदेश ने इतिहास रचा है। प्रदेश में अनाज, सब्जी और फलों की उत्पादन लागत में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। पशुपालन, मछली पालन और मधुमक्खी पालन को भी लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है। राज्य की विविधतापूर्ण जलवायु को दृष्टिगत रखते हुए सरकार बेहतर तालमेल स्थापित कर सभी क्षेत्रों में रहने वाले किसानों को प्रशिक्षण के साथ समुचित सहायता भी देती रही है।
सोयाबीन और गेहूँ के उत्पादन में मध्यप्रदेश ने नित नये कीर्तिमान स्थापित किए हैं। सोयाबीन खरीफ मौसम में प्रदेश में सर्वाधिक बोई जाने वाली फसल है। इसके साथ धान, मक्का, अरहर, मूंग, उड़द, ज्वार, बाजरा, कोदो, कुटकी, तिल और कपास का भरपूर उत्पादन होने लगा है। रबी की फसलों में गेहूँ, चना, मटर, मसूर, सरसों, गन्ना, अलसी आदि प्रमुख हैं। इनमें गेहूँ का रकबा सर्वाधिक है। गेहूँ की उत्पादकता के लिये किये गये प्रयासों के कारण इसका क्षेत्रफल, उत्पादन तथा उत्पादकता भी तेजी से बढ़ रही है और अब मध्यप्रदेश इसके उत्पादन में अग्रणी राज्य बन गया है। इस प्रकार प्रदेश में बोई जाने वाली लगभग सभी फसलों ने विगत डेढ़ दशक में उत्पादन तथा उत्पादकता के क्षेत्र में उच्च कीर्तिमान स्थापित किये हैं।
केंद्र सरकार की लोक-कल्याणकारी योजनाओं का फायदा मध्यप्रदेश को भली-भाँति मिल रहा है, जिससे प्रदेश का अन्नदाता प्रसन्न और खुशहाल है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में पात्र किसानों को दावा राशि का भुगतान प्राथमिकता से कराया जाता है। योजना का लाभ दूरस्थ और गरीब किसानों को भी मिले, इसे ध्यान में रखते हुए वनग्रामों को राजस्व ग्राम में अर्थात् पटवारी हल्के में शामिल किया गया है। पहले वन ग्राम राजस्व ग्राम में नहीं होने से तथा पटवारी हल्के के अन्तर्गत शामिल न होने के कारण वन अधिकार पट्टों पर प्राप्त भूमि के पट्टेधारियों को फसल हानि के मामले में फसल बीमा योजना का लाभ नहीं मिल पाता था। अब सभी किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ मिलने लगा है।
मध्यप्रदेश के किसानों को अपने कृषि उत्पाद निर्यात करने में सुविधा मिले तथा उन्हें अपनी उपज का अधिकतम लाभ हासिल हो सके, इसके लिए व्यवस्थागत कदमों के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। प्रमाणित एवं गुणवत्ता युक्त बीज के भण्डारण के लिए पंचायत स्तर पर प्र-संस्करण इकाइयाँ तेजी से स्थापित की जा रही हैं। कृषि अधोसंरचना निधि के अंतर्गत मध्यप्रदेश को साल 2020-21 में 7500 करोड़ रूपये का आवंटन प्राप्त हुआ है, जिसके उपयोग में प्रदेश का देश में प्रथम स्थान है।
किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए आधुनिक मंडियों की स्थापना, फूड पार्क, शीत गृहों की श्रृंखला स्थापित करने के साथ-साथ साइलो एवं वेयर हाउस के निर्माण को मिशन मोड में प्रोत्साहित किया जा रहा है। नए कृषि कानूनों के आने से किसान अपनी उपज को मंडी में या अन्यत्र देश में कहीं भी बेचने के लिये स्वतंत्र हो गया है। अब जहाँ किसान को लाभ मिलेगा वह बिना किसी अवरोध और रोक-टोक के वहाँ अपनी उपज बेच सकेगा।
किसान अन्नदाता एवं जीवनदाता है। कोविड-19 के संक्रमण काल में मंडियाँ बंद होने के कारण किसान अपनी उपज बेचने मंडियों में नहीं आ पा रहा था। प्रदेश सरकार ने कोविड-19 के संक्रमण के दृष्टिगत किसानों की भूमि उपज की बिक्री सुनिश्चित करने हेतु मण्डियों से बाहर किसानों के घर से ही सौदा पत्रक के आधार पर उपज की खरीदी किया जाना सुनिश्चित किया। केंद्र की मोदी सरकार की लोक-कल्याणकारी नीतियों से किसानों के जीवन में आशातीत सुधार होने लगे हैं। पीएम-किसान योजना से किसानों के बैंक खातों में राशि सीधे ट्रांसफर होती है। यह क्रांतिकारी बदलाव है। इससे बिचौलियों की भूमिका को खत्म करने के सार्थक प्रयास किये गये हैं। प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना से भारत के ग्रामीण समाज का विकास और प्रगति से सीधे जुड़ने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। भारत का आम किसान गाँवों में रहता है और उसके लिए खेती और उसकी मिट्टी सम्मान का प्रतीक है। प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना के अंतर्गत पॉयलेट प्रोजेक्ट के रूप में जिन 6 राज्यों का चयन किया गया है, उसमें हमारा अपना मध्यप्रदेश भी है। योजना के क्रियान्वयन में हरदा जिले के मसनगाँव के रामभरोस विश्वकर्मा को लाभ दिलाकर मध्यप्रदेश ने अग्रणी स्थान बनाया है।
किसानों को उपज का उचित एवं लाभकारी मूल्य प्राप्त हो, इसके लिए राज्य सरकार ने क्रांतिकारी कदम उठाते हुए कृषि के क्षेत्र में कई सुधार किए हैं। बरसों से गेहूँ उपार्जन के बाद चना, मसूर, सरसों के उपार्जन के निर्णय को किसान-कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल की पहल पर परिवर्तित कर गेहूँ के पूर्व चना, मसूर और सरसों के उपार्जन का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। गौरतलब है कि चना और सरसों की फसल गेहूँ की फसल के पहले आती है, ऐसे में किसानों को अब मजबूरी में कम कीमत पर बाजार में अपनी उपज को बेचने की जरूरत नहीं है। सरकार का गेहूँ के पहले चना, मसूर और सरसों के उपार्जन का निर्णय किसानों के लिए बेहद लाभकारी साबित हुआ है। राज्य सरकार एक और अभूतपूर्व निर्णय लेते हुए किसानों से ग्रीष्मकालीन मूंग को समर्थन मूल्य पर खरीद रही है। इससे किसानों को उनकी उपज का बेहतर और अधिकतम मूल्य प्राप्त हुआ है। किसानों की आय को दोगुना करने के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के संकल्प को पूरा करने में इससे बड़ी मदद मिली है।
मध्यप्रदेश के सर्वांगीण विकास और स्वर्णिम मध्यप्रदेश की स्थापना में गाँव, गरीब और किसान की सशक्त सहभागिता के लक्ष्य को लेकर प्रदेश की वर्तमान सरकार लगातार काम कर रही है। मध्यप्रदेश की अर्थ-व्यवस्था की रीढ़ किसान हैं। प्रदेश के किसान लगातार सफलता के कीर्तिमान गढ़ रहे है। कभी बीमारू राज्य कहा जाने वाला मध्यप्रदेश अब अपनी जन-कल्याणकारी और किसान हितैषी नीतियों के कारण कृषि उत्पादन और खुशहाली में देश के अग्रणी राज्यों में शुमार हो गया है।
देश के हृदय स्थल मध्यप्रदेश ने पिछले डेढ़ दशक में विकास के नये आयाम स्थापित कर विकसित राज्य की पहचान बना ली है। मध्यप्रदेश की सुशासन और विकास रिपोर्ट-2022 के अनुसार राज्य में आए बदलाव से मध्यप्रदेश बीमारू से विकसित प्रदेशों की पंक्ति में उदाहरण बन कर खड़ा हुआ है। इस महती उपलब्धि में प्रदेश में जन-भागीदारी से विकास के मॉडल ने अहम भूमिका निभाई है।
इन दिनों पूरे मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना की जानकारी देने और बहनों के फार्म भरवाये जाने के लिये विभिन्न गतिविधियाँ जारी हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं जिला स्तरीय महासम्मेलनों में बहनों को योजना के प्रावधानों से अवगत करा रहे हैं। मुख्यमंत्री पहले सम्मेलन में आई बहनों का फूलों की वर्षा कर स्वागत-अभिनंदन करते है और संवाद की शुरूआत फिल्मी तराने "फूलों का तारों का सबका कहना है-एक हजारों में मेरी बहना है" के साथ करते है। मुख्यमंत्री का यह जुदा अंदाज प्रदेश की बहनों को खूब भा रहा है।
राज्य सरकार की 03 साल की प्रमुख उपलब्धियां - एक नजर में
भोपाल। जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसे ज्वलंत मुद्दों से जूझते विश्व की पर्यावरणीय सुरक्षा के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा फ्रांस में नवम्बर 2015 में लिये गए संकल्प में मध्यप्रदेश बेहतरीन योगदान दे रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में प्रदेश ने पिछले 11 वर्षों में सोलर ऊर्जा में 54 और पवन ऊर्जा में 23 प्रतिशत की वृद्धि की है। वर्तमान में साढ़े पाँच हजार मेगावाट ग्रीन ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है। इससे एक करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है जो 17 करोड़ पेड़ के बराबर है।
भोपाल। देश के विकास में भारतवंशियों के योगदान पर गौरवान्वित होने के लिए हर साल 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है।इस बार 9 जनवरी 2023 को प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन मध्यप्रदेश की धरती इंदौर में होने जा रहा है, जो पूरे प्रदेश के लिए गौरव और सौभाग्य की बात है। देश का सबसे साफ शहर इंदौर सभी प्रवासी भारतीयों का स्वागत करने के लिए आतुर है।
मध्यप्रदेश सरकार की स्टार्ट-अप फ्रेंडली नीतियों के परिणामस्वरूप प्रदेश स्टार्टअप्स का हब बन रहा है। मध्यप्रदेश, देश के उन अग्रणी राज्यों में शामिल है, जो स्टार्ट-अप्स के लिए विश्व स्तरीय ईकोसिस्टम प्रदान करते हैं। स्टार्ट-अप ब्लिंक की रिपोर्ट के अनुसार देश में इंदौर 14वें स्थान पर और भोपाल 29वें स्थान पर है। मध्यप्रदेश के 2500 से अधिक स्टार्ट-अप भारत सरकार के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग में पंजीकृत हैं।
भोपाल। पशुपालन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश अनेक राष्ट्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन में देश में प्रथम स्थान पर है। अन्य राज्यों के लिए मध्यप्रदेश मॉडल राज्य के रूप में उभरा है।
राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम में प्रदेश में 2 करोड़ 92 लाख 51 हजार गौ-भैंस वंशीय पशु पंजीकृत हैं। इन पशुओं को यूआईडी टैग लगा कर इनॉफ पोर्टल पर दर्ज किया गया है, जो देश में सर्वाधिक है।
मध्यप्रदेश को यह गौरव हासिल है कि यह देश की सर्वाधिक जनजातीय जनसंख्या का घर है। प्रदेश का इन्द्रधनुषीय जनजातीय परिदृश्य अपनी विशिष्टताओं की वजह से मानव-शास्त्रियों, सांस्कृतिक अध्येताओं, नेतृत्व शास्त्रियों और शोधार्थियों के विशेष आकर्षण का केन्द्र रहा है। यहाँ की जनजातियाँ सदैव से अपनी बहुवर्णी संस्कृति, भाषाओं, रीति-रिवाज और देशज तथा जातीय परम्पराओं के साथ प्रदेश के गौरव का अविभाज्य अंग रही है।
मध्यप्रदेश के इन्द्रधनुषी जनजातीय संसार में जीवन अपनी सहज निश्छलता के साथ आदिम मुस्कान बिखेरता हुआ पहाड़ी झरने की तरह गतिमान है। मध्यप्रदेश सघन वनों से आच्छादित एक ऐसा प्रदेश है, जहाँ विन्ध्याचल, सतपुड़ा और अन्य पर्वत-श्रेणियों के उन्नत मस्तकों का गौरव-गान करती हवाएँ और उनकी उपत्यकाओं में अपने कल-कल निनाद से आनंदित करती नर्मदा, ताप्ती, तवा, पुनासा, बेतवा, चंबल, दूधी आदि नदियों की वेगवाही रजत-धवल धाराएँ मानो,वसुंधरा के हरे पृष्ठों पर अंकित पारंपरिक गीतों की मधुर पंक्तियाँ।
धरती पुत्र शिवराज सिंह चौहान ने जबसे प्रदेश की कमान सम्हाली है, तभी से स्वर्णिम मध्यप्रदेश के सपने को साकार करने में हर पल गुजरा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान कहते हैं कि प्रदेश के सर्वांगीण विकास में किसान की भूमिका अति महत्वपूर्ण है। उन्होंने इसी सोच के मद्देनजर किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिये निरंतर कार्य किये हैं, जो आज भी बदस्तूर जारी हैं। अपनी स्थापना के 67वें वर्ष में मध्यप्रदेश कृषि के क्षेत्र में अग्रणी प्रदेश है, जिसने कई कीर्तिमान रचते हुए लगातार 7 बार कृषि कर्मण अवार्ड प्राप्त किया है।