भाजपा और केंद्र ने ब्रांड मोदी को बनाया गरीबों का मसीहा

कुछ महीने पहले केंद्र सरकार ने किफायती दवाएं मुहैया कराने के लिए प्रधान मंत्री भारतीय जनौषधि परियोजना नाम की एक योजना शुरू की थी, जिसका संक्षिप्त नाम पीएमबीजेपी था। लेकिन उसके बाद नाम में संशोधन किया गया और अब इस योजना को प्रधान मंत्री जन औषधि योजना या पीएमजय के नाम से जाना जाता है। इसका मतलब है- प्रधानमंत्री की जय और इसका भाजपा द्वारा ठीक इसी तरह प्रचार किया जा रहा है। 

योजना का नाम बदलना केवल प्रधानमंत्री की छवि को पार्टी से जोडऩे और उनके नेतृत्व की वाहवाही करने का महज एक तरीका नहीं है बल्कि यह भाजपा और नरेंद्र मोदी सरकार का निरंतर प्रयास है कि 2019 के लोक सभा चुनावों तक के अगले 24 महीनों में प्रधानमंत्री को 'गरीबों के मसीहा' के रूप में पेश किया जाए। भाजपा रणनीतिकारों के मुताबिक पीएमजय और पीएम उज्ज्वला योजना मोदी सरकार के अगले चुनावी अभियान का अहम हिस्सा होंगे। गरीब, किसान और श्रमिक हितैषी के रूप में ब्रांड मोदी तैयार करने के लिए अब केंद्र सरकार की ज्यादातर योजनाओं के पहले प्रधानमंत्री शब्द जुड़ गया है, जिनमें वृद्धावस्था योजना भी शामिल है। 

इनमें उज्ज्वला और जन औषधि ऐसी योजनाएं हैं, जो गरीबों के जीवन को छूने की संभावना रखती हैं और एक बड़े वर्ग को तात्कालिक और प्रत्यक्ष लाभ देती हैं। भाजपा शासित सरकारों और पार्टी कार्यकर्ताओं को इन दो योजनाओं का प्रचार करने को कहा गया है। सितंबर तक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पूरे भारत का दौरा करेंगे। वह पार्टी संगठन को मजबूत करने के लिए हर राज्य और संघ शासित प्रदेश का दौरा करेंगे। वह पार्टी कार्यकर्ताओं को मोदी सरकार के गरीब हितैषी होने के संदेश को लोगों तक लेकर जाने और उसकी योजनाओं विशेष रूप से उज्ज्वला और जन औषधि को लोकप्रिय बनाने का आग्रह करेंगे। 


उज्ज्वला योजना का मकसद गरीबों को रियायती दरों पर रसोई गैस कनेक्शन मुहैया कराना है, जबकि जन औषधि योजना का उद्देश्य 700 दवाएं किफायती दरों पर उपलब्ध कराना है। शाह और मोदी सार्वजनिक रूप से यह स्वीकार कर चुके हैं कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भाजपा की प्रचंड जीत में उज्ज्वला योजना का अहम योगदान रहा है। फरवरी में भाजपा संसदीय दल की एक बैठक में केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ पार्टी नेता एम वेंकैया नायडू ने पार्टी के सांसदों को कहा था कि वे मोदी को 'गरीबों के मसीहा' के रूप में पेश करें। इस साल अप्रैल में भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में मोदी और शाह ने उन्हें केंद्रीय सरकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए कदम उठाने को कहा था। 

भाजपा के एक महासचिव ने कहा, 'मकसद साफ है। वर्ष 2019 में पार्टी 2004 को नहीं दोहराना चाहती है, जब अटल बिहारी वाजपेयी सरकार अपने गरीब हितैषी कामों को जनता के सामने लाने में अपनी असफलता के कारण हारी थी।' इसमें सबसे अहम यह है कि केंद्र सरकार अपनी योजनाओं का स्वामित्व ले रही है और यह सुनिश्चित कर रही है कि इन योजनाओं का श्रेय प्रधानमंत्री को दिया जाना चाहिए। यह श्रेय राज्य सरकारों और मुख्यमंत्रियों को नहीं जाना चाहिए, जैसा कि संप्रग सरकार की कुछ योजनाओं में हुआ था। 

उदाहरण के लिए पीएमजय की भाजपा द्वारा सोशल मीडिया पर आक्रामक मार्केटिंग पीएम की जय के रूप में की जा रही है। पिछले वर्षों में यह योजना शानदार नतीजे देने में असफल रही है, लेकिन मोदी इसे सफल बनाने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। हाल में अपनी सार्वजनिक सभाओं में मोदी ने फिर से लोगों को किफायती दवाएं मुहैया कराने का वादा दोहराया है। 


रसायन एवं उर्वरक मंत्री अनंत कुमार के एक निकट सहयोगी कहते हैं कि सरकार ने सभी मुख्यमंत्रियों को पीएमजय ब्रांड के नाम से ज्यादा से ज्यादा स्टोर खोलने को कहा है। पुराने स्टोर, जिनका नाम महज 'जन औषधि स्टोर' है, उनका नाम बदलकर पीएमजय किया जा रहा है। इस समय जन औषधि दुकानों की संख्या 1,000 से थोड़ी अधिक है, जो 31 मार्च 2017 तक के सरकार के 3,000 के लक्ष्य से काफी कम है। इन दुकानों में मिलने वाली दवाओं की संख्या भी बदहाली की कहानी बयां करती है। इन दुकानों में केवल 200 दवाएं उपलब्ध हैं। 

भाजपा शासित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मोदी की छवि गरीबों के मसीहा के रूप में बनाने की मुहिम का पता स्पष्ट रूप से चलता है। खाद्य मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों को राशन की दुकानों के बाहर केंद्र के योगदान को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करने को कहा है ताकि उपभोक्ताओं को यह पता हो कि उनके मासिक कोटे का 90 फीसदी भार मोदी सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है। इसका मतलब यह भी है कि राज्य सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) का श्रेय खुद न लें।

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय में खाद्य का दुरुपयोग रोकने और दोहरा एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) वसूलने पर अंकुश लगाने के निर्देश प्रधानमंत्री के नाम पर किए गए हैं और इसके बाद मोदी ने अपने रेडियो संबोधन में यह मसला उठाया था। कृषि में मृदा स्वास्थ्य कार्ड, ई-नाम, सिंचाई कार्यक्रम और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जैसी बड़ी योजनाओं की निगरानी प्रत्यक्ष रूप से पीएमओ द्वारा की जा रही है ताकि इसमें धांधली न हो। प्रधानमंत्री शब्द से शुरू होने वाली योजनाओं की फेहरिस्त लंबी है, जिनमें राजग 1 की फिर से शुरू की गईं और संप्रग 1 और 2 की योजनाएं भी शामिल हैं। इनमें पीएम जन धन योजना, पीएम आवास योजना, पीएम उज्ज्वला योजना, पीएम जन औषधि योजना, पीएम कृषि सिंचाई योजना, पीएम कौशल विकास योजना, पीएम मुद्रा योजना, पीएम सुरक्षा बीमा योजना, पीएम स्वास्थ्य सुरक्षा योजना, पीएम गरीब कल्याण योजना, पीएम ग्राम सड़क योजना, पीएम फसल बीमा योजना आदि शामिल हैं। 

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