विद्या की देवी सरस्वती
देवी सरस्वती विद्या की देवी देवी हैं। इन्हें साहित्य, कला और स्वर की देवी भी माना जाता है। शुक्रवार को अन्य शक्ति स्वरूपों के साथ देवी सरस्वती की भी पूजा अर्चना की जाती है। कहते हैं स्वंय श्री कृष्ण ने सर्वप्रथम सरस्वती जी की पूजा अर्चना की थी। मां सरस्वती के पूजन के समय कुछ विषेश श्लोक पढ़ने से उनकी असीम कृपा प्राप्त होती है। मान्यता है कि शक्तिशाली सरस्वती मंत्र के जाप से स्मृति को विकसित करने में सहायता प्राप्त होती है। इन सशक्त मंत्रों में मां सरस्वती के 108 नाम मंत्रों का प्रमुख स्थान है। ये मंत्र छात्रों, डॉक्टर, वकील और सभी बुद्धिजीवियों के लिए बहुत उपयोगी है। देवी के इन चमत्कारी मंत्रों का जाप करने से वे शीघ्र शुभ फल देती हैं। जानिए कौन से हैं मां सरस्वती के 108 नाम मंत्र।
माता सरस्वती के 108 नाम व मंत्र
यहां दिए गए 108 मंत्रों का शुक्रवार को जाप करने से आपका मानसिक विकास होता है और माता सरस्वती आपको ज्ञान का आर्शिवाद प्रदान करती हैं।
1- सरस्वती ॐ सरस्वत्यै नमः।
2- महाभद्रा ॐ महाभद्रायै नमः।
3- महामाया ॐ महमायायै नमः।
4- वरप्रदा ॐ वरप्रदायै नमः।
5- श्रीप्रदा ॐ श्रीप्रदायै नमः।
6- पद्मनिलया ॐ पद्मनिलयायै नमः।
7- पद्माक्षी ॐ पद्मा क्ष्रैय नमः।
8- पद्मवक्त्रगा ॐ पद्मवक्त्रायै नमः।
9- शिवानुजा ॐ शिवानुजायै नमः।
10- पुस्तकधृत ॐ पुस्त कध्रते नमः।
11- ज्ञानमुद्रा ॐ ज्ञानमुद्रायै नमः।
12- रमा ॐ रमायै नमः।
13- परा ॐ परायै नमः।
14- कामरूपा ॐ कामरूपायै नमः।
15- महाविद्या ॐ महाविद्यायै नमः।
16- महापातक नाशिनी ॐ महापातक नाशिन्यै नमः।
17- महाश्रया ॐ महाश्रयायै नमः।
18- मालिनी ॐ मालिन्यै नमः।
19- महाभोगा ॐ महाभोगायै नमः।
20- महाभुजा ॐ महाभुजायै नमः।
21- महाभागा ॐ महाभागायै नमः।
22- महोत्साहा ॐ महोत्साहायै नमः।
23- दिव्याङ्गा ॐ दिव्याङ्गायै नमः।
24- सुरवन्दिता ॐ सुरवन्दितायै नमः।
25- महाकाली ॐ महाकाल्यै नमः।
26- महापाशा ॐ महापाशायै नमः।
27- महाकारा ॐ महाकारायै नमः।
28- महाङ्कुशा ॐ महाङ्कुशायै नमः।
29- सीता ॐ सीतायै नमः।
30- विमला ॐ विमलायै नमः।
31- विश्वा ॐ विश्वायै नमः।
32- विद्युन्माला ॐ विद्युन्मालायै नमः।
33- वैष्णवी ॐ वैष्णव्यै नमः।
34- चन्द्रिका ॐ चन्द्रिकायै नमः।
35- चन्द्रवदना ॐ चन्द्रवदनायै नमः।
36- चन्द्रलेखाविभूषिता ॐ चन्द्रलेखाविभूषितायै नमः। 37 सावित्री ॐ सावित्र्यै नमः।
38- सुरसा ॐ सुरसायै नमः।
39- देवी ॐ देव्यै नमः।
40- दिव्यालङ्कारभूषिता ॐ दिव्यालङ्कारभूषितायै नमः।
41- वाग्देवी ॐ वाग्देव्यै नमः।
42- वसुधा ॐ वसुधायै नमः।
43- तीव्रा ॐ तीव्रायै नमः।
44- महाभद्रा ॐ महाभद्रायै नमः।
45- महाबला ॐ महाबलायै नमः।
46- भोगदा ॐ भोगदायै नमः।
47- भारती ॐ भारत्यै नमः।
48- भामा ॐ भामायै नमः।
49- गोविन्दा ॐ गोविन्दायै नमः।
50- गोमती ॐ गोमत्यै नमः।
51- शिवा ॐ शिवायै नमः।
52- जटिला ॐ जटिलायै नमः।
53- विन्ध्यवासा ॐ विन्ध्यावासायै नमः।
54- विन्ध्याचलविराजिता ॐ विन्ध्याचलविराजितायै नमः।
55- चण्डिका ॐ चण्डिकायै नमः।
56- वैष्णवी ॐ वैष्णव्यै नमः।
57- ब्राह्मी ॐ ब्राह्मयै नमः।
58- ब्रह्मज्ञानैकसाधना ॐ ब्रह्मज्ञानैकसाधनायै नमः।
59- सौदामिनी ॐ सौदामिन्यै नमः।
60- सुधामूर्ति ॐ सुधामूर्त्यै नमः।
61- सुभद्रा ॐ सुभद्रायै नमः।
62- सुरपूजिता ॐ सुरपूजितायै नमः।
63- सुवासिनी ॐ सुवासिन्यै नमः।
64- सुनासा ॐ सुनासायै नमः।
65- विनिद्रा ॐ विनिद्रायै नमः।
66- पद्मलोचना ॐ पद्मलोचनायै नमः।
67- विद्यारूपा ॐ विद्यारूपायै नमः।
68- विशालाक्षी ॐ विशालाक्ष्यै नमः।
69- ब्रह्मजाया ॐ ब्रह्मजायायै नमः।
70- महाफला ॐ महाफलायै नमः।
71- त्रयीमूर्ती ॐ त्रयीमूर्त्यै नमः।
72- त्रिकालज्ञा ॐ त्रिकालज्ञायै नमः।
73- त्रिगुणा ॐ त्रिगुणायै नमः।
74- शास्त्ररूपिणी ॐ शास्त्ररूपिण्यै नमः।
75- शुम्भासुरप्रमथिनी ॐ शुम्भासुरप्रमथिन्यै नमः।
76- शुभदा ॐ शुभदायै नमः।
77- सर्वात्मिका ॐ स्वरात्मिकायै नमः।
78- रक्तबीजनिहन्त्री ॐ रक्तबीजनिहन्त्र्यै नमः।
79- चामुण्डा ॐ चामुण्डायै नमः।
80- अम्बिका ॐ अम्बिकायै नमः।
81- मुण्डकायप्रहरणा ॐ मुण्डकायप्रहरणायै नमः।
82- धूम्रलोचनमर्दना ॐ धूम्रलोचनमर्दनायै नमः।
83- सर्वदेवस्तुता ॐ सर्वदेवस्तुतायै नमः।
84- सौम्या ॐ सौम्यायै नमः।
85- सुरासुर नमस्कृता ॐ सुरासुर नमस्कृतायै नमः।
86- कालरात्री ॐ कालरात्र्यै नमः।
87- कलाधारा ॐ कलाधारायै नमः।
88- रूपसौभाग्यदायिनी ॐ रूपसौभाग्यदायिन्यै नमः।
89- वाग्देवी ॐ वाग्देव्यै नमः।
90- वरारोहा ॐ वरारोहायै नमः।
91- वाराही ॐ वाराह्यै नमः।
92- वारिजासना ॐ वारिजासनायै नमः।
93- चित्राम्बरा ॐ चित्राम्बरायै नमः।
94- चित्रगन्धा ॐ चित्रगन्धायै नमः।
95- चित्रमाल्यविभूषिता ॐ चित्रमाल्यविभूषितायै नमः।
96- कान्ता ॐ कान्तायै नमः।
97- कामप्रदा ॐ कामप्रदायै नमः।
98- वन्द्या ॐ वन्द्यायै नमः।
99- विद्याधरसुपूजिता ॐ विद्याधरसुपूजितायै नमः।
100- श्वेतासना ॐ श्वेतासनायै नमः।
101- नीलभुजा ॐ नीलभुजायै नमः।
102- चतुर्वर्गफलप्रदा ॐ चतुर्वर्गफलप्रदायै नमः।
103- चतुरानन साम्राज्या ॐ चतुरानन साम्राज्यायै नमः।
104- रक्तमध्या ॐ रक्तमध्यायै नमः।
105- निरञ्जना ॐ निरञ्जनायै नमः।
106- हंसासना ॐ हंसासनायै नमः।
107- नीलजङ्घा ॐ नीलजङ्घायै नमः।
108- ब्रह्मविष्णुशिवात्मिका ॐ ब्रह्मविष्णुशिवान्मिकायै नमः।
Hanuman Jayanti 2023 Upay : हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन रुद्रावतार हनुमान जी का जन्म दिवस धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 6 अप्रैल 2023, गुरुवार (Hanuman Jayanti 2023 Date) के दिन मनाया जाएगा। इस विशेष दिन पर हनुमान जी की विधिवत पूजा करने से साधकों को सुख और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
सभी नौ ग्रह सही समय पर राशि चक्र में गोचर करते हैं। अन्य ग्रहों के साथ युति भी बनाते हैं। इन ग्रहों के गोचर और युति से शुभ और अशुभ योग बनते हैं। इस समय शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में है। कुंभ में सूर्य देव भी हैं। वहीं देवगुरु बृहस्पति और शुक्र मीन राशि में युति कर रहे हैं। इस प्रकार इन ग्रहों की स्थिति पंच महायोग बना रही है। 19 फरवरी से केदार योग, शंख योग, शश योग, ज्येष्ठ योग और सर्वार्थसिद्धि योग बना है। 5 महायोगों का दुर्लभ संयोग 700 साल बाद अपना प्रभाव दिखाएगा। कुछ राशियों पर इस योग का शुभ प्रभाव दिखाई देगा।
यदि आप आर्थिक तंगी से परेशान है। आय से अधिक खर्च हो रहा है। कई बार प्रयास करने के बाद भी नौकरी नहीं मिल रही है। कारोबार को लेकर परेशान हैं या किसी रोग से पीड़ित हैं, तो हम आपको होलिका दहन के समय किए जाने वाले कुछ उपाय के बारे में बताने जा रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह उपाय सही दिन और सही समय पर किया जाए, तो नौकरी, शिक्षा, धन, सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
Shani Gochar 2023: शनिदेव 30 साल बाद कुंभ राशि में दोबारा से गोचर करने वाले हैं। ज्योतिष में शनि का गोचर हमेशा से ही महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि सभी ग्रहों में शनि सबसे मंदगति से चलने वाले ग्रह हैं। ये एक से दूसरी राशि में गोचर करने में करीब ढाई वर्षो का समय लेते हैं। इस वजह से किसी राशि पर इनका ज्यादा और दूरगामी प्रभाव पड़ता है। 15 जनवरी को सूर्यदेव अपने पुत्र शनि की राशि में प्रवेश करेंगे फिर उसके दो दिन बाद यानी 17 जनवरी को शनिदेव भी कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। ये महायोग कई राशियों के जातकों के लिए जीवन में बड़े बदलाव लानेवाला है।
Surya Gochar 2023: इस महीने सूर्य और शनि का दुर्लभ संयोग होने वाला है। 14 जनवरी को रात 8 बजकर 57 मिनट पर ग्रहों के राजा सूर्य मकर राशि में प्रवेश करने वाले हैं। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक शनि, मकर राशि के स्वामी हैं। वहीं सूर्य को शनि का पिता माना जाता है। सूर्य के पास राज करने के अधिकार हैं, तो शनि को उनका सेवक माना जाता है। लेकिन शनि को कर्मफलदाता भी माना जाता है। ज्योतिष में इन दोनों के बीच शत्रुता कही गई है।
Astrology News: संपूर्ण ब्राह्मांड के पालनकर्ता श्री हरि विष्णु भगवान को गुरुवार का दिन समर्पित होता है। इस दिन यदि कोई जातक उनका व्रत रखता है एवं विशेष पूजा करता है तो उसे अपार धन लाभ होता है। विष्णु भगवान की पूजा से उसे लक्ष्मी माता की कृपा भी प्राप्त हो जाती है। ऐसा कहा जाता है कि कुछ राशियों ऐसी भी जिन्हें भगवान विष्णु की कृपा से कभी धन की हानि का सामना नहीं करना पड़ता है। आइये जानते हैं उन राशियों के बारे में पूरी जानकारी।
Libra Yearly Horoscope 2023: इस वर्ष तुला राशि के जातकों को हर क्षेत्र में लाभ होने वाला है। साथ ही आकस्मिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है। जनवरी की शुरूआत में परिवार में कोई धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन हो सकता है। जिसके कारण परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होगा। इस वर्ष आपके खर्चों में वृद्धि हो सकती है। पढ़िए सम्पूर्ण वार्षिक राशिफल।
अशोक के पत्तों का उपयोग धार्मिक और मांगलिक कार्यों के लिए प्राचीन समय से होता आ रहा है। अशोक के पत्ते बेहद शुभ माने जाते हैं। किसी भी शुभ अवसर पर घर के मुख्य द्वार पर अशोक या आम के पत्तों से बनी माला अवश्य लटकाई जाती है। ऐसा करने के पीछे कई ज्योतिषीय कारण बताए जाते हैं। इसके पत्ते पूजा के कलश में भी रखे जाते हैं। ज्योतिष में अशोक के पत्तों के कई उपाय बताए गए हैं। इन उपायों को करके आप अपने जीवन की समस्त समस्याओं से पीछा छुड़ा सकते हैं।
Shani Gochar 2023: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि देव 17 जनवरी 2023 को स्वराशि कुंभ में गोचर करेंगे। मार्च 2025 तक कुंभ में ही रहेंगे। शनि के स्वराशि कुंभ में गोचर करते ही कुछ राशियों से शनि साढ़े साती और ढैय्या हट जाएगी। वहीं, कुंभ, मीन, मकर राशि के लिए कठिन समय शुरू हो जाएगा। सबसे ज्यादा मुश्किल समय 2023 से 2025 तक कुंभ राशि वालों के लिए रहेगा। इस दौरान तीनों राशि के जातकों को अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना होगा और गुस्से पर नियंत्रण पाना होगा।
Garuda Purana: सनातन धर्म के 18 महापुराणों में से एक गरुड़ पुराण में कुछ ऐसी आदतों का जिक्र किया गया है। जिनका समय पर त्याग कर देना चाहिए। यदि इन आदतों को समय पर नहीं छोड़ा गया तो व्यक्ति कंगाल हो जाता है। कुछ ही समय में राजा से रंक बन जाता है। गरुड़ पुराण में वर्णित बातों का अनुसरण करने पर व्यक्ति अपने जीवन में सुखों का भोग करता है। जानते हैं वो कौन सी आदतें हैं, जिनसे व्यक्ति को दूरी बनाने में ही भलाई है।