कठुआ गैंगरेप से लेकर सर्जिकल स्ट्राइक तक, लंदन में क्या बोले PM मोदी

लंदनः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के विभिन्न हिस्सों में लड़कियों के साथ बलात्कार की घटनाओं को लेकर विपक्ष की आलोचना पर कहा कि बलात्कार की घटनाओं को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप नहीं होने चाहिए। मोदी ने यहां वेस्टमिनिस्टर सेंट्रल हॉल में भारत की बात सबके साथ कार्यक्रम में गीतकार एवं कवि प्रसून जोशी के सवालों के जवाब देते हुए कहा कि छोटी बालिकाओं के साथ बलात्कार की घटनाएं हुईं हैं जो समाज के रूप में शर्मनाक है। कोई यह कहे कि उनकी सरकार के कार्यकाल में इतने बलात्कार हुए थे और मेरी सरकार में इतने, यह तुलना करना गलत है।

इस प्रकार की राजनीति और आरोप प्रत्यारोप करना बहुत गलत है। उन्होंने कहा कि बलात्कार तो बलात्कार है। किसी बेटी को अपने शरीर को सब झेलना पड़ता है, वह बहुत ही पीड़ादायक होता है। उन्होंने कहा कि लालकिले पर स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जो बात उन्होंने कही थी, माता-पिता को उस पर ध्यान देना चाहिए। हर माता पिता अपनी बेटी से पूछते हैं कि देर तक कहां थी, मोबाइल पर किससे बात कर रही है। पर अगर यही बात माता-पिता अपने पुत्र से भी पूछे कि देर तक कहां थे तो उससे फर्क पड़ेगा। बलात्कार करने वाला भी तो किसी मां का बेटा होगा।

पीठ पर वार करने वालों को जबाव देना जानते हैं
पाकिस्तान पर निशाना साधने के लिए मोदी ने वर्ष 2016 में नियंत्रण रेखा के पार अंजाम दिए गए सर्जिकल हमलों का जिक्र किया और कहा कि भारत आतंकवाद का निर्यात करने वालों को बर्दाश्त नहीं करेगा और ‘‘करारा जवाब’’ देगा। मोदी ने कहा कि जब ‘‘ किसी ने आतंक के निर्यात की फैक्ट्री लगा ली हो और हम पर पीछे से हमले की कोशिशें करता हो तो मोदी उसी भाषा में जवाब देना जानता है।’’  एक शख्स ने जब सर्जिकल हमलों पर सवाल किया तो मोदी ने जवाब में कहा , ‘‘जिन्हें आतंक का निर्यात पसंद है, मैं उनसे कहना चाहता हूं कि भारत बदल गया है और उनके पुराने तौर-तरीकों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।’’

जनता में जगाई बेसब्री की आग
मोदी ने कहा कि उन्होंने सवा सौ करोड़ लोगों में बेबसी की जगह बेसब्री, आशा और अपेक्षा जगा दी है। ट्विटर पर आए एक सवाल पर मोदी ने कहा कि देशवासियों में विकास को लेकर बेसब्री है। यह बेसब्री तरूणाई की पहचान है जिसका वह बुरा नहीं मानते। उन्होंने कहा कि देशवासियों को भरोसा है, इसलिए उन्हें अपेक्षा है।

पत्थरों से बनाता हूं पथ
नोटबंदी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि नोटबंदी के दौरान अर्जेंटीना के राष्ट्रपति को लगा था कि वह (मोदी) को अब शायद पद छोड़ना पड़ेगा। वह अपनी पत्नी से ऐसी चर्चा कर रहे थे। टीवी के पर्दे पर सरकार के खिलाफ लगातार आक्रमण के बावजूद देशवासियों का उनमें भरोसा था। देश ईमानदारी के लिए जूझ रहा था। उन्होंने कहाकि उसी का नतीजा है कि आज जो भी परिणाम है उसकी जरूरत मोदी है। किसी को गाली देना है, तो किसको देंगे। मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि सारे पत्थर मुझे मारे जा रहे हैं। देशवासियों पर कोई पत्थर नहीं पड़ रहा है। उन्होंने अपनी एक कविता की कुछ पंक्तियां साझा करते हुए कहा, जो लोग मुझ पर पत्थर फेंकते हैं, मैं उसी पत्थरों से पथ बना देता हूं और उस पर चलकर आगे बढ़ता हूं।

मैंने किताब पढ़कर गरीबी नहीं सीखी
पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने शौचालय की बात की और ये जो प्राथमिकताएं बदली हैं, इस बारे में पूछे जाने पर मोदी ने कहा कि आप कल्पना कर सकते हैं कि गरीब मां शौचालय जाने के लिए सूरज ढलने का इंतजार करती है। सोचिए एक मां को कितना दर्द होता होगा, ये सवाल हमें सोने नहीं देते हैं। महात्मा गांधी ने एक सिद्धांत दिया था कि कोई भी नीति बनाए तो इस तराजू पर तौले कि उसका समाज के आखिरी आदमी पर क्या प्रभाव है। भारत में आजादी के बाद भी सैनिटेशन 30-40 प्रतिशत तक था।   उन्होंने कहा कि मुझे किताब पढ़कर गरीबी सीखनी नहीं है। मैं उस जिंदगी को जीकर आया हूं। गरीबी क्या होती है, पिछड़ापन क्या होता है।

महात्मा गांधी ने देश को एक किया
राजनीति अपनी जगह पर है। पर उनकी नीति कहती है कि वह लोगों की जिंदगी में कुछ तो बदलाव लाएं। 18 हजार गांवों में हमने बिजली पहुंचाई। अफसरों ने कहा कि इस काम में सात साल लग सकते हैं, तो उन्होंने कहा कि इसको एक हजार दिन में पूरा करेंगे। एक जवाब में मोदी ने कहा कि देश की आजादी के लिए लाखों लोगों ने बलिदान दिया है। देश के किसी कोने में आजादी के लिए संघर्ष रुका नहीं था। लेकिन महात्मा गांधी ने इसे आंदोलन का रूप दिया। हर आदमी को काम पर लगाया और आजादी को आंदोलन में परिवर्तित कर दिया। लोगों को भरोसा हुआ आजादी इससे मिल सकती है।

मैं आज भी एक विद्यार्थी हूं
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके अंदर एक विद्यार्थी है जिसे उन्होंने कभी मरने नहीं दिया और उन्हें जो दायित्व मिलता है, उसे सीखने की कोशिश करते हैं। उन्होंने कहा कि मेरे पास अनुभव नहीं है। मुझसे गलतियां हो सकती हैं, लेकिन बद इरादे से गलत कभी नहीं करूंगा। लंबे समय तक मुख्यमंत्री के रूप में काम किया। प्रधानसेवक का तमगा मुझे मिला है लेकिन गलत इरादे से कोई काम नहीं करूंगा। मैंने कभी ये नहीं सोचा कि मैं देश बदल दूंगा। लेकिन सोचता हूं कि अगर देश में लाखों समस्याएं हैं, तो सवा सौ करोड़ समाधान हैं। उन्होंने राजा रंथीदेव को उद्धृत करते हुए कहा, न मुझे राज्य की कामना है, न मोक्ष की कामना है, अगर मेरे हृदय में कामना है, तो सिर्फ दुखी दरिद्रों की भलाई की कामना है। उन्होंने कहा, कि मैं औलिया हूं। मैं ऐसे हालात में पला-बढ़ा हूं कि मुझपर किसी चीज का असर नहीं होता है।

मैं चाहता हूं मेरी सरकार की आलोचना हो
विपक्ष के सत्ता हासिल करने के सवाल पर मोदी ने कहा कि आलोचना लोकतंत्र की खूबसूरती है और वह मानते हैं कि उनकी सरकार की भरपूर आलोचना होनी चाहिए। आलोचना से ही लोकतंत्र पनपता है और सरकारों को भी सतर्क रखती है इसलिए अगर कोई आलोचना करता है, तो वह इसे सौभाग्य मानते हैं। लेकिन आलोचना करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है, अब लोगों ने आलोचना के बजाय आरोप लगाना सीख लिया है। ये स्वस्थ लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। आलोचना होनी चाहिए लेकिन आरोपों से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं हमेशा आलोचना का स्वागत करता हूं। बहुत लोगों ने मुझे बनाया है। लोगों की मेहनत को मैं मिट्टी में नहीं मिलने दूंगा।

भारत के पासपोर्ट की ताकत बढ़ी
विदेश नीति की चर्चा करते हुए मोदी ने कहा कि भारत के पासपोर्ट की ताकत बढ़ी है। भारतीयों की ओर सभी लोग गर्व से देखते हैं। आज पूरे विश्व में अपनी नीतियों एवं संतुलित व्यवहार के कारण भारत का लोहा माना जाता है। भारत ने सबको खुश करने की रणनीति छोड़ दी है। उन्होंने कहा कि उनकी आलोचना होती थी कि चाय बेचने वाला विदेश नीति क्या समझेगा, लेकिन आज चार साल के बाद कोई ये सवाल नहीं उठा सकता है। इसका कारण उनके पीछे सवा सौ करोड़ भारतीय हैं। भारत ने अपने व्यवहार के द्वारा किसी भी भेदभाव के बिना, दुनिया के किसी भी देश के साथ भारत ने न किसी के साथ आंख झुकाकर बात की और न किसी के साथ आंख उठाकर की, बल्कि आंख मिलाकर बात की। आज वैश्विक स्तर भारत लीडर के रूप में उभरा है।  मोदीकेयर के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि तीन बातों पर मेरा जोर रहा है -बच्चों को पढ़ाई, युवा को कमाई, बुजुर्ग को दवाई। ये चीजें हैं जो स्वस्थ समाज के लिए होनी चाहिए। अच्छे खासे परिवार में भी अगर एक बीमारी आ जाए तो सभी योजनाएं, बेटी की शादी की तैयारी धरी की धरी रह जाती है। ऑटो रिक्शा चलाने वाला बीमार हो जाए तो पूरा परिवार बीमार हो जाता है।

आयुष्मान भारत ने बदली तस्वीर
आयुष्मान भारत में हम देश में करीब डेढ़ लाख से ज्यादा वेलनेस सेंटर बनाना चाहते हैं। एक सेंटर से 12-15 गांवों को फायदा मिले। दूसरा- योग, पोषण मिशन से प्रिवेंटिव हेल्थ को बल मिले। दुनिया के कई देशों में मातृत्व अवकाश के लिए उतनी उदारता नहीं है जितनी हमारे यहां है। हमने 26 हफ्ते का अवकाश दिया है। भारत की आधी आबादी यानी 50 लाख लोगों को 5 लाख रुपए तक का बीमा सरकार देगी। टीयर-टू और थ्री सिटी में अच्छे प्राइवेट अस्पतालों का नेटवर्क खड़ा होगा। नई चेन बनेगी। एक हजार से ज्यादा अच्छे और नए अस्पताल बनने की संभावना है।

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