बैंकों को उबारने में जमाकर्ताओं के पैसे के इस्तेमाल के प्रावधान से श्रम मंत्रालय चिंतित

केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने प्रस्तावित वित्तीय समाधान एवं जमा बीमा (एफआरडीआई) विधेयक के 'बेल इन' प्रावधान पर आपत्ति जताई है। इस प्रावधान को लेकर सरकार को चौतरफा आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। बेल इन का मतलब है कि अगर किसी बैंक पर बंद होने का खतरा मंडराता है तो वह अपना अस्तित्व बचाने के लिए जमाकर्ताओं के पैसों का इस्तेमाल कर सकता है। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय का तर्क है कि कर्मचारी राज्य बीमा योजना के तहत करीब 3 करोड़ कर्मचारियों को चिकित्सा लाभ देने के लिए विभिन्न सरकारी बैंकों में अच्छी खासी राशि जमा कराई गई है जो प्रस्तावित बेल इन प्रावधान से खतरे में पड़ जाएगी। संभवत: यह पहला मौका है जब सरकार के भीतर ही इस प्रावधान के खिलाफ आवाज उठी है। 

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले साल अगस्त में एफआरडीआई विधेयक लोकसभा में पेश किया था। इसमें वित्तीय संस्थानों के नाकाम होने की स्थिति में उन्हें उबारने या बंद करने के लिए व्यापक समाधान व्यवस्था का प्रस्ताव है। इन वित्तीय संस्थानों में बैंक और बीमा कंपनियां भी शामिल हैं। पहली बार इस विधेयक में बेल इन का प्रावधान किया गया है।

पिछले साल 31 मार्च तक ईएसआईसी ने सावधि जमा के तौर पर सरकारी बैंकों में 460 अरब रुपये जमा कर रखे थे जो उसके कुल फंड का 77 फीसदी है। 594 अरब रुपये के कुल फंड की शेष राशि 2016-17 में विशेष जमा के तौर पर केंद्र सरकार के पास रखी गई थी। ईएसआईसी के एक अधिकारी ने कहा, 'ईएसआईसी को कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखना है। अगर बेल इन के तहत ईसीआईसी के फंड का एक हिस्सा बैंकों की इक्विटी में बदलता है तो फिर कर्मचारियों को चिकित्सा लाभ देना मुश्किल हो जाएगा क्योंकि यह पैसा पहुंच से बाहर हो जाएगा।' मौजूदा नीति के मुताबिक ईएसआईसी के लिए अपने कुल फंड का 75 फीसदी सरकारी बैंकों में जमा करना अनिवार्य है। अधिकारी ने कहा, 'यह कर्मचारियों का पैसा है जिसका संरक्षण होना चाहिए।'

सरकारी सूत्रों के मुताबिक श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने संसद के दोनों सदनों की संयुक्त समिति के समक्ष यह मुद्दा उठाया। यह समिति इन विधेयक के प्रावधानों का अध्ययन कर रही है और विभिन्न पक्षों तथा वित्त मंत्रालय के साथ बातचीत कर रही है। राज्य सभा सदस्य भूपेंद्र यादव की अगुआई वाली इस समिति के आगामी बजट सत्र के अंतिम दिन अपनी रिपोर्ट देने की संभावना है। केंद्रीय मजदूर संगठनों ने भी एफआरडीआई विधेयक में बेल इन प्रावधान का विरोध किया है। भारतीय मजदूर संघ के अध्यक्ष सी के साजी नारायणन ने कहा, 'हमने वित्त मंत्रालय से इस प्रावधान को हटाने की मांग की है। यह केवल निजी क्षेत्र के बैंकों पर लागू होना चाहिए। इस प्रस्ताव के कारण कर्मचारियों की मेहनत की कमाई पर खतरा मंडरा रहा है।'

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