केंद्रीय सांख्यिकी संस्थान के आंकड़े आने के बाद फिर से चर्चा तेज हो गई है कि क्या सरकार ने नोटबंदी और जीएसटी का फैसला एक साथ लेकर गलती कर दी है। केंद्रीय सांख्यिकी संस्थान के आंकड़े में 2017-18 के लिए जीडीपी 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। ये आंकड़े सही साबित हुए तो बीते चार सालों में सबसे कम तरक्की की रफ्तार होगी। खेती की तरक्की की रफ्तार में भी काफी कमी की बात केंद्रीय सांख्यिकी आयोग कह रहा है। उसके आंकड़े मतलब सरकार के आंकड़े, लेकिन केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रलय ने केंद्रीय सांख्यिकी आयोग के आंकड़ों से बेहतर आंकड़े खेती में रहने की उम्मीद जताई है। इसके पीछे कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रलय का तर्क है कि 2017 में खरीफ और रबी दोनों सत्रों की उपज काफी अच्छी हुई है और होने की संभावना दिख रही है। रबी सत्र में 5 जनवरी तक 5 करोड़ 86 लाख हेक्टेयर इलाके में बुवाई हो चुकी है, इन वजहों से केंद्रीय सांख्यिकी संगठन के आंकड़ों से बहुत बेहतर खेती रहने की उम्मीद की जा सकती है।
पहले से पता था कि दिखेगा नोटबंदी और जीएसटी का असर
सवाल है कि सांख्यिकी आयोग के आंकड़े बेहतर अर्थव्यवस्था की तरक्की की रफ्तार हो सकती है क्या? इसे समझने के लिए अर्थव्यवस्था की बेहतरी या बदतरी के संकेत देने वाले आंकड़ों को देख लेते हैं। यह सही है कि नोटबंदी और जीएसटी के एक के बाद एक लागू कर देने से उद्योग, कारोबार पर असर पड़ा और 2017 के ज्यादातर आंकड़ों में यही बात साफ नजर भी आती है, लेकिन इसका अनुमान तो पहले से ही था। अब सवाल यह है कि क्या अभी तक नोटबंदी और जीएसटी का बुरा असर खत्म नहीं हुआ है या फिर अर्थव्यवस्था में बेहतरी के दूसरे लक्षण भी अभी तक नहीं दिख पा रहे हैं। आंकड़ों के लिहाज से साल 2017 बीतते-बीतते अर्थव्यवस्था में बेहतरी के संकेत साफ दिख रहा है। इसकी पुष्टि विश्व बैंक के ताजा अनुमान से भी होती है। विश्व बैंक ने 2018 के लिए भारत की तरक्की की रफ्तार 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है और अगले दो सालों में यह बढ़कर 7.3 प्रतिशत रहने की बात कही है।
भारत में दिखती है विकास की असाधारण क्षमता
विश्व बैंक के डेवलपमेंट प्रॉसपेक्ट्स ग्रुप के डायरेक्टर अयहान कोसे कहते हैं कि हर हाल में अगले दशक में भारत महत्वपूर्ण विकासशील देशों में बेहतर तरक्की की रफ्तार हासिल करने जा रहा है। कोसे कहते हैं कि बड़ी तस्वीर देखने पर भारत में विकास की असाधारण क्षमता दिखती है। चीन की रफ्तार धीमी हो रही है जबकि भारत तेजी से तरक्की करेगा। विश्व बैंक का अनुमान आने के बाद और भारत में दूसरे मानकों पर अर्थव्यवस्था की रफ्तार बेहतर होनी दिखने के बाद, लग रहा है कि शायद सांख्यिकी आयोग भाजाप सांसद सुब्रमण्यम स्वामी के उस बयान के बाद थोड़ा सतर्क हो गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार बेहतर आंकड़ों के लिए दबाव डालती है। क्योंकि अर्थव्यवस्था के ज्यादातर मानकों पर संकेत बेहतर हैं।
भारतीय बाजारों ने बीते साल को जबरदस्त तेजी के साथ विदाई दी है। 2017 में भारतीय शेयर बाजार में करीब 29 प्रतिशत की तरक्की देखने क मिली है। सेंसेक्स करीब 28 प्रतिशत बढ़कर 34,000 के ऊपर रहा और निफ्टी भी करीब 29 प्रतिशत बढ़कर 10,500 के ऊपर रहा। बाजार की इस तेजी से कंपनियों को अच्छा फायदा मिला, साथ में निवेशकों की जेब में भी पिछले साल से 51 लाख करोड़ रुपये ज्यादा आए। मगर सिर्फ शेयर बाजार की तेजी से अर्थव्यवस्था की मजबूती या कमजोरी का अनुमान लगाना कहीं से भी सही नहीं होगा। इससे सिर्फ संकेत भर लिया जा सकता है।
अर्थव्यवस्था की मजबूती को समझने के लिए देश के कोर क्षेत्रों की तरक्की के आंकड़े के साथ ग्राहकों की खर्च करने की क्षमता कितनी बढ़ी, यह समझना जरूरी होता है, क्योंकि ग्राहक खर्च तभी करता है जब उसके पास अपनी जरूरतों को पूरा करने के बाद भी बचत हो पाती है।
जमकर खरीदी कार और एसयूवी
बीते साल में लोगों ने जमकर कार और एसयूवी खरीदा है। 2013 के बाद कारों की बिक्री में सबसे ज्यादा बढ़त देखने को मिली है। पहली बार कारों की बिक्री किसी साल में 30 लाख के ऊपर चली गई है। अभी 2017 में कारों की बिक्री के शुरुआती अनुमान बता रहे हैं कि 2017 में लोगों ने 9.2 प्रतिशत ज्यादा कारें खरीदी हैं। 2016 में कुल 29 लाख कारें बिकी थीं जबकि, 2017 में 32 लाख से ज्यादा कारें बिकने का अनुमान लगाया गया है। 2012 में 9.3 प्रतिसत ज्यादा कारें बिकी थीं। इसके बाद 2013 में तो 7.2 फीसद कम कारें बिकीं। 2014 में 0.7 फीसद ज्यादा कारें बिकीं। इसके बाद के सालों- 2015 में 7.8 और 2016 में 7.0 फीसद कारों की बिक्री तेज से बढ़ी और बीते साल 2017 में कारों की बिक्री एक बार फिर करीब 10 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ी। इसमें एक बात और समझने की है कि कारों में ज्यादातर बढ़ोतरी एसयूवी खंड में है।
इसका मतलब 10 लाख रुपये से ऊपर वाली कारें खूब बिकी हैं। कार कंपनियों को 2018 में भी अच्छी तरक्की की उम्मीद है।1साल 2018 की शुरुआत में आए अच्छे आंकड़े सिर्फ कार कंपनियों के नहीं हैं। इससे इतना जरूर अनुमान लगाया जा सकता है कि एक बड़ा मध्यमवर्ग फिर से अपनी जरूरतों से आगे खर्च करने लायक पैसे बचा पा रहा है, लेकिन अर्थव्यवस्था की असली तस्वीर तो कोर क्षेत्र में होने वाली तरक्की के आंकड़ों से ही तय होता है। कोर क्षेत्र के ताजा आंकड़े शानदार आए हैं।
स्टील और सीमेंट उद्योग में दिखी बढ़त
साल 2018 की शुरुआत में आए ताजा आंकड़ों के मुताबिक पिछले 13 महीने में सबसे ज्यादा बढ़त कोर क्षेत्र में नवंबर महीने में देखने को मिली है। स्टील और सीमेंट उद्योग में जबरदस्त बढ़त दिखी, पूरे औद्योगिक वृद्धि के बेहतर होने का संकेत देता है। नवंबर महीने में कोर क्षेत्र-कोयला, सीमेंट, स्टील, उर्रवरक, इलेक्टिसिटी, रिफाइनरी प्रोडक्ट, प्राकृतिक गैस और कच्चा तेल में 6.8 प्रतिशत की तरक्की की रफ्तार दिखी है। अक्टूबर महीने में यह रफ्तार 5 प्रतिशत थी। सिर्फ स्टील और सीमेंट क्षेत्र में तरक्की की रफ्तार देखें तो यह 16.6 प्रतिशत और 17.3 प्रतिशत रही है। इन दोनों क्षेत्रों में उत्पादन नोटबंदी के पहले के स्तर पर पहुंच गया है। इससे औद्योगिक उत्पादन के जबरदस्त होने का अनुमान लगाया जा सकता है।
नई दिल्ली। पिछले सात कारोबारी सेशन में अदाणी समूह का मार्केट कैप नौ लाख करोड़ कम हो गया है। 24 जनवरी 2023 को अदाणी समूह का कुल मार्केट कैप 19.2 लाख करोड़ था तो 3 फरवरी के कारोबारी सेशन के बाद महज 10 लाख करोड़ रह गया।
नई दिल्ली। वेतनशुदा मध्यमवर्ग के लिए सबसे तकलीफदेह यही होता है। इस मध्यम वर्ग के लिए कम से कम इनकम टैक्स के मामले में कुछ अच्छे दिन आते दिख रहे हैं। वजह है वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण में आयकर को लेकर पांच बड़े एलान। आइए इस बारे में बारी-बारी से जानते हैं...
नई दिल्ली। वर्ष 2023 में भी वैश्विक मंदी का माहौल रह सकता है। इस दौरान खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा और महंगाई का अतरिक्त दबाव देखने को मिल सकता है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के सर्वे में इस बात का दावा किया गया है।
नई दिल्ली। दुनियाभर के लोग नए साल का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। लेकिन आने वाला साल दुनिया के लिए चुनौतपूर्ण होने वाला है। दरअसल, सेंटर फॉर इकोनॉमिक्स एंड बिजनेस रिसर्च (CEBR) की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया को 2023 में मंदी का सामना करना पड़ेगा। रिपोर्ट के मुताबिक, आसमान छूती महंगाई को काबू करने के लिए दुनियाभर के केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में वृद्धि करेंगे। इससे बाजार मांग में कमी आएगी। यह पूरी दुनिया को मंदी की चपेट में धकेलने का काम करेगा। वहीं, भारत के लिए अच्छी खबर यह है कि भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने से कोई नहीं रोक सकता है।
नई दिल्ली। आरबीआई गवर्नर (RBI Governor) ने तीन दिनों तक चली एमपीसी की बैठक के बाद रेपो रेट को बढ़ाने का एलान किया है। आरबीआई ने रेपो रेट में 0.35% बढ़ोतरी का एलान किया है। अब आरबीआई की रेपो रेट 5.4% से बढ़कर 6.25% हो गई है। आरबीआई ने लगातार पांचवी बार इसे बढ़ाने का फैसला किया है। केंद्रीय बैंक ने मई 2022 में रेपो रेट को 40 बेसिस प्वाइंट बढ़ाने की घोषणा के साथ इसकी शुरुआत की थी।
नई दिल्ली। सरकारी तेल कंपनियों ने पेट्रोल और डीजल के रेट (Petrol Diesel Latest Price) जारी कर दिए हैं। बता दें कच्चे तेल में उतार-चढ़ाव के बावजूद महाराष्ट्र और मेघालय को छोड़ बंगाल, राजस्थान, गुजरात, बिहार, मध्य प्रदेश ,यूपी समेत सभी राज्यों में 164वें दिन भी ईंधन के दाम स्थिर हैं। 1 नवंबर 2022, मंगलवार से पेट्रोल और डीजल 40 पैसे प्रति लीटर सस्ता हो गया है। नई कीमतें मंगलवार सुबह छह बजे से प्रभावी हो गईं।
नई दिल्ली। सरकार ने कहा कि त्योहारी सीजन में लोगों को प्याज और दालों की महंगाई नहीं सताएगी। पर्याप्त बफर स्टॉक होने की वजह से प्याज और दालों की कीमतें दिसंबर तक नहीं बढ़ेंगी। उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि सरकार के पास 2022-23 के लिए 2.5 लाख टन से ज्यादा प्याज का भंडार है। इसमें 54 लाख टन प्याज राज्यों को जारी किया गया है।
नई दिल्ली। एलन मस्क (Elon Musk) ने सोशल मीडिया कंपनी के मालिक बनने पर ट्विटर (Twitter) के अधिकांश कर्मचारियों की छंटनी (Layoff) करने की योजना बनाई है। अगर एलन मस्क ने ट्विटर को खरीद लिया तो कर्मचारियों की नौकरी चली जाएगी।
नई दिल्ली। हफ्ते के अंतिम कारोबारी दिन शुक्रवार को शेयर बाजार हरे निशान पर खुला है। बाजार की शुरुआत में सेंसेक्स लगभग 200 अंकों की बढ़त के साथ कारोबार करता दिख रहा है। निफ्टी में भी 50 अंकों की मजबूती है। फिलहाल सेंसेक्स 151.58 अंकों की बढ़त के साथ 59,397.07 के लेवल पर तो निफ्टी 52.95 अंकों की बढ़त के साथ 17,616.90 अंकों पर कारोबार कर रहा है।
नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का सिलसिला बरकरार है। सप्ताह के दूसरे कारोबारी दिन यानी मंगलवार को सेंसेक्स 843.79 अंक यानी 1.46 प्रतिशत लुढ़ककर 57,147.32 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 940.71 अंक तक नीचे चला गया था। वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 257.45 अंक यानी 1.49 प्रतिशत की गिरावट के साथ 16,983.55 अंक पर बंद हुआ।