जीएसटी परिषद ने पिछले हफ्ते 200 से भी ज्यादा उत्पादों का टैक्स रेट कम कर दिया गया है. अब परिषद जीएसटी में नये बदलावों की तैयारी कर रही है. इन बदलाव से आम आदमी को और भी राहत मिल सकती है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संकेत दिए हैं कि जीएसटी टैक्स स्लैब की संख्या घटाई जा सकती है.
घट सकते हैं टैक्स स्लैब
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की उस मांग को खारिज किया, जिसमें उन्होंने जीएसटी में एक ही टैक्स स्लैब में रखने की मांग की थी. हालांकि उन्होंने संकेत दिए कि जीएसटी के मौजूदा टैक्स स्लैब की संख्या घटाई जा सकती है.
'नहीं है जीएसटी की समझ'
राहुल गांधी के एक ही रेट रखने को लेकर उन्होंने कहा कि जो ऐसी मांग कर रहे हैं, उन्हें जीएसटी की समझ नहीं है. उन्होंने कहा कि हम सभी चीजों को एक रेट में नहीं समा सकते. जरूरी खाद्य पदार्थों को और पान,तंबाकू जैसी चीजों को हम एक साथ एक ही टैक्स स्लैब में नहीं रख सकते. खाद्य पदार्थ पर जीरो जीएसटी होना चाहिए , क्योंकि ये अहम जरूरत है. इसके अलावा रोजमर्रा की जरूरत के सामान को 5 फीसदी जीएसटी टैक्स स्लैब में ही रखा जाना चाहिए.
जरूरी सामान और तंबाकू एक साथ नहीं रख सकते
जेटली ने कहा कि ऐसे उत्पाद जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं या फिर जिनसे पर्यावरण को खतरा है. ऐसे उत्पादों को आम आदमी की जरूरतों के उत्पाद के साथ नहीं रखा जा सकता है. वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी के लागू होने के चार महीने के भीतर हमने 28 फीसदी टैक्स स्लैब में काफी बदलाव किए हैं. अब अन्य टैक्स स्लैब में किसी तरह का बदलाव सरकार को मिलने वाले राजस्व पर करेगा.
जीएसटी के फैसले को राजनीति से जोड़ना गलत
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले हफ्ते शुक्रवार को जीएसटी रेट घटाए जाने के फैसले को राजनीति से जोड़ने को लेकर भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि जीएसटी को लेकर जो भी फैसला लिया जाता है, वह सबकी सर्वसम्मति से होता है. ऐसे में इसे राजनीति से जोड़ना गलत है. उन्होंने कहा कि जीएसटी रेट में इस बदलाव की कवायद पिछले तीन से चार महीने से चल रही थी. उन्होंने इसे बचकानी राजनीति करार दिया.
पेट्रोल-डीजल को लाया जाएगा जीएसटी के तहत?
टैक्स स्लैब घटाने के अलावा पेट्रोल और डीजल को भी जीएसटी के तहत लाए जाने को लेकर आने वाली बैठकों पर फैसला हो सकता है.पिछले कुछ समय से पेट्रोल और डीजल के दाम में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. केंद्र सरकार के एक्साइज ड्यूटी घटाने और कुछ राज्य सरकारों की तरफ से वैट घटाने के बाद भी राहत नहीं मिल रही है. ऐसे में सरकार पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने पर विचार कर सकती है. ऑयल मिनिस्टर धर्मेंद्र प्रधान और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी यह पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के तहत लाने की अपील कर चुके हैं.
रियल इस्टेट भी आ सकता है जीएसटी के तहत
खुद वित्त मंत्री अरुण जेटली भी रियल इस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाने की बात कह चुके है. उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि रियल स्टेट को जल्द ही जीएसटी के तहत लाया जा सकता है. जिससे लोगों को बड़े स्तर पर फायदा मिलेगा. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि जीएसटी की आने वाले दिनों में होने वाली बैठकों में इस पर फैसला लिया जाना तय है.
नियमों में होगा बदलाव
रियल इस्टेट और पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के तहत लाने पर विचार करने के अलावा जीएसटी परिषद टैक्स स्लैब कम करने पर भी विचार कर सकती है. इसके अलावा वह जीएसटी कानून और नियमों में भी बदलाव करने पर विचार करेगी. दरअसल इस पूरी कवायद का मकसद कारोबारियों की सहूलियत को बढ़ाना है.
सीमेंट होगा सस्ता
कारोबारियों के लिए कई अहम बदलाव करने के साथ ही जीएसटी परिषद सीमेंट और पेंट को भी 28 फीसदी से नीचे के टैक्स स्लैब में रखने पर विचार कर सकती है. फिलहाल इन दोनों उत्पादों को 28 फीसदी टैक्स स्लैब में रखा गया है. घर निर्माण और कई अहम निर्माण के कार्य में इनका इस्तेमाल होता है. ऐसे में परिषद इनका रेट कम करने पर भी विचार करेगी.
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