सूचना-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करने के लिये राज्य शासन द्वारा पुरानी नीति का पुनरीक्षण कर नई आई.टी., आई.टी.ई.एस. एवं ई.एस.डी.एम. निवेश प्रोत्साहन नीति-2016 जारी की गयी है। पूँजी निवेश एवं ब्याज अनुदान जो अभी 10 करोड़ तक निवेश करने वाली लघु एवं मध्यम इकाइयों को ही दिया जाता था, उसे अब 10 करोड़ से ऊपर निवेश करने वाली इकाइयों को भी दिया जायेगा।
नीति में वेट/सी.एस.टी. में छूट की सीमा अन्य राज्यों से अधिक रखी गयी है। अब इलेक्ट्रॉनिक उद्योग की इकाइयों को आई.टी. पार्क अथवा ई.एम.सी. के बाहर भी औद्योगिक केन्द्र विकास निगम, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग, नगरीय निकायों एवं विकास प्राधिकरणों की भूमि रियायती दर पर मिल सकेगी। प्राइवेट डेव्हलपर को भी इलेक्ट्रॉनिक्स औद्योगिक क्षेत्र के विकास के लिये रियायती दरों पर भूमि उपलब्ध करवाने का प्रावधान रखा गया है।
आई.टी. पार्क
प्रदेश के महानगर इन्दौर के परदेशीपुरा एवं ग्वालियर में आई.टी. पार्क संचालित हैं। सिंहासा आई.टी. पार्क, इन्दौर, बड़वई आई.टी. पार्क भोपाल एवं पूरवा जबलपुर में आई.टी. पार्क की स्थापना के प्रथम चरण में मूलभूत अधोसंरचना का विकास 75 प्रतिशत पूरा हो चुका है। आईटी पार्क इंदौर में 14, भोपाल में 25 एवं जबलपुर में 4 इकाई को भूमि आवंटित की गई है। सागर में आई.टी. पार्क की स्थापना की प्रक्रिया प्रचलित है।
इलेक्ट्रॉनिक्स मेन्युफैक्चरिंग क्लस्टर्स
मध्यप्रदेश में इलेक्ट्रॉनिक्स मेन्युफैक्चरिंग क्लस्टर्स (EMC) की स्थापना राज्य शासन की प्राथमिकता में शामिल है। शासन की नीति के अनुरूप प्रदेश के महानगरों में ई.एम.सी. की स्थापना की जा रही है। प्रदेश, देश का पहला राज्य है, जहॉं भारत सरकार द्वारा एक साथ दो स्थान भोपाल एवं जबलपुर में इलेक्ट्रॉनिक्स मेन्युफेक्चरिंग क्लस्टर्स (EMC) की स्थापना की स्वीकृति दी गई है।
भोपाल एवं जबलपुर में इन क्लस्टर्स की मूलभूत अधोसंरचना का विकास कार्य प्रगति पर है। परियोजना के सुचारू संचालन के लिए प्रदेश में एक पृथक कंपनी “भोपाल इलेक्ट्रॉनिक्स मेन्युफैक्चरिंग क्लस्टर पार्क लिमिटेड” का गठन किया गया है। क्लस्टर में पाँच इकाई को भूमि आवंटित की गई है। क्लस्टर के विकास का काम प्रगति पर है। इलेक्ट्रॉनिक्स मेन्युफैक्चरिंग क्लस्टर्स के क्षेत्र में 50000 रोजगार का सृजन होगा।
स्टेट वाईड एरिया नेटवर्क (SWAN)
शासकीय कार्यालयों में नागरिकों की सुविधाओं को देखते हुए कम्प्यूटरीकृत प्रणाली द्वारा दैनिक गतिविधियों का सुगमता, तीव्रता एवं पारदर्शिता से निष्पादन किये जाने में स्टेट वाईड एरिया नेटवर्क (SWAN) की महत्वपूर्ण भूमिका है। परियोजना में ब्लाक/तहसील जिला से एवं जिला संभाग से और संभाग राजधानी से हाई स्पीड डेटा कनेक्टिविटी नेटवर्क के माध्यम से जुड़ गये हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के सहयोग से इस परियोजना में मध्यप्रदेश में 400 Points of Presence (POP) केन्द्रों की स्थापना की जा रही है। अब तक 380 पॉप केन्द्र स्थापित हो चुके हैं और 20 Points of Presence (POP) केन्द्र की स्थापना का काम प्रगति पर है। मध्यप्रदेश में स्टेट वाईड एरिया नेटवर्क से राज्य के 51 विभाग के कार्यालयों में 10 हजार उपयोगकर्ता को SWAN से कनेक्टिविटी दी गई है। शासकीय उपयोग में स्टेट वाईड एरिया नेटवर्क की उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए नेटवर्क को अबाधित रूप से संचालित किये जाने के लिए प्रदेश में वैकल्पिक व्यवस्था भी की गई है।
स्टेट रेसीडेन्ट डाटा हब (SRDH)
प्रदेश के रहवासियों के केन्द्रीयकृत डाटा संधारण, संधारित डेटाबेस के विश्लेषण तथा उससे बेहतर योजना नियोजन के उद्धेश्य से प्रदेश में स्टेट रेसिडेंट डाटा हब (SRDH) की अधोसंरचना विकसित की जा रही है। कॉमन डाटा रिपॉजिटरी के लिए आधारभूत अधोसंरचना स्टेट रेसीडेन्ट डाटा हब (SRDH) का काम पूरा हो गया हैं। जून 2015 तक UIDAI से 3 करोड़ 6 लाख निवासियों का डाटा प्राप्त हो चुका है। प्रदेश के रहवासियों का 31 अगस्त, 2016 तक 85 प्रतिशत आधार पंजीयन पूरा हो चुका है। दिसम्बर 2016 तक 100 प्रतिशत पंजीयन के लिए कार्यवाही जारी है।
स्टेट डाटा सेन्टर (State Data Centre)
प्रदेश सरकार के सभी विभागों एवं एजेन्सियों में उपलब्ध डिजिटल सामग्री को सुरक्षित रखने एवं आपस में बाँटने की निरन्तरता (365 दिनX24 घण्टे) सुविधा की जरूरतों की पूर्ति के लिए राजधानी भोपाल में स्टेट डाटा सेन्टर की स्थापना की गई है। इस सेन्टर की स्थापना से प्रत्येक विभाग को अपना डाटा सुरक्षित रखने के लिए अलग-अलग डाटा सेंटर बनाने की जरूरत नहीं है। इस सेंटर में डाटा सुरक्षित रूप से संधारित रहता है और इसे तेज गति से उपयोग में लाया जा सकता है। इसमें व्यय भी कम होता है और यह अधिक सुरक्षित रहता है। सेन्टर दिसम्बर 2012 से क्रियाशील है। वर्तमान में सेन्टर (SDC) में विभिन्न विभाग की 314 एप्लीकेशन्स चल रही हैं।
ई-टेण्डरिंग प्रणाली
शासकीय निविदाओं में पारदर्शिता एवं सुगमता को ध्यान में रखते हुए शासकीय कार्यालयों द्वारा जारी की जाने वाली निविदाओं के लिए राज्य में वर्ष 2006 से ई-टेण्डरिंग प्रणाली संचालित है।
शासन के सभी विभागों/संस्थाओं के लिए e-Procurement Portal का संचालन किया जा रहा है। विभाग की सभी निविदाएँ ऑनलाईन की जाती हैं। इस प्रणाली से पिछले वित्त वर्ष में 61 हजार करोड़ मूल्य की 54 हजार 847 निविदाएँ जारी की गई। ई.एम.डी. एवं निविदा प्रपत्र बिक्री का भुगतान ई-पेमेन्ट द्वारा किया जाता है।
एम.पी. ऑनलाईन पोर्टल एवं नागरिक सुविधा केन्द्र
नागरिकों को उनके निकटतम सुविधाजनक स्थान पर तत्परता एवं पारदर्शिता के साथ वर्तमान में 21 हजार 553 एम.पी. ऑनलाईन कियोस्कों के माध्यम से राज्य शासन के विभिन्न विभागों द्वारा और 450 शासकीय सेवाएँ सफलतापूर्वक ऑनलाईन उपलब्ध करवाई जा रही हैं।
वर्चुअल क्लासरूम परियोजना
वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से उत्कृष्ट विषय-विशेषज्ञों की शिक्षा का लाभ ब्लॉक स्तर तक पहुँचाने के लिए प्रदेश के चिन्हित सभी 413 केन्द्र की स्मार्ट कक्षाएँ क्रियाशील हैं। विद्यालयीन एवं महाविद्यालयीन कक्षाओं का संचालन किया जा रहा है। अभी तक दो हजार से अधिक व्याख्यान का प्रसारण किया जा चुका है। इससे लगभग 40 लाख से अधिक बच्चे लाभान्वित हुए हैं।
ज्योग्राफिकल इन्फार्मेशन सिस्टम (GIS)
प्रदेश में GIS आधारित decision support systems विकसित करने के लिये मध्यप्रदेश स्टेट स्पाशियल इस डाटा इंफ्रास्ट्रक्चर (एम.पी.एस.एस.डी.आई.) परियोजना पर अमल किया जा रहा है। इसके लिए आवश्यक satellite इमेज को समस्त उपयोगकर्ताओं से साझा किया जाकर राज्य शासन द्वारा 23 करोड़ से अधिक की बचत बीते गत एक साल में की गयी है। प्रदेश के सभी विभागों के GIS डाटा की single repository तैयार किये जाने का कार्य प्रचलित है। खसरा नक्शों के एकीकृत GIS डाटा का निर्माण का 94 प्रतिशत पूरा हो चुका है। शेष ग्रामों के GIS नक़्शे तैयार किये जा रहे हैं।
उपलब्ध नगरीय एवं वन सीमा के नक्शों का संधारण का काम पूरा हो चुका है। शेष नगरीय निकायों के GIS नक़्शे तैयार करने की कार्यवाही जारी है। अब तक, वन, स्कूल शिक्षा, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग से प्राप्त GIS डाटा को single repository में संधारित किया जा चुका है। संधारित डाटा को उपयोगकर्ताओं से साझा करने के लिए वेब सर्विसेस का विकास कर पोर्टल में उपलब्ध करवाया जा चुका है। इन वेब सर्विसेस के माध्यम से उपयोगकर्ता, मैप-आईटी में संधारित डाटा को अपने विभागीय वेब अथवा डेस्क टॉप आधारित एप्लीकेशन में सीधे उपयोग कर सकेंगे।
आई.टी. प्रशिक्षण केन्द्र
मध्यप्रदेश को डिजिटल राज्य बनाने की दिशा में प्रदेश के प्रत्येक अधिकारी-कर्मचारी को कम्प्यूटरीकृत प्रणाली पर सुचारू कार्य करने में सक्षम बनाने की दृष्टि से ई-दक्ष कार्यक्रम संचालित है। इसमें प्रदेश के प्रत्येक जिला मुख्यालय में आईटी प्रशिक्षण केंद्र “ई-दक्ष केंद्र” स्थापित हैं। प्रदेश में संचालित ई-दक्ष केन्द्रों के माध्यम से अभी तक 85 हजार से अधिक अधिकारी-कर्मचारियों को कम्प्यूटर / आईटी एवं ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में दक्ष किया जा चुका है| अगले पाँच साल में प्रदेश के 5 लाख से भी अधिक कर्मचारी आईटी में दक्ष होंगे|
परियोजना प्रबंधन ईकाई (PMU)
प्रदेश में संचालित विभिन्न परियोजनाओं पर निर्धारित बजट एवं समय-सीमा में प्रभावी अमल कर इन परियोजनाओं का लाभ समुचित समय पर नागरिकों को प्रदान करवाने के उद्देश्य से राज्य के विभिन्न विभाग में नवीन एवं वर्तमान में प्रचलित परियोजनाओं की प्रभावी मॉनीटरिंग, नीति निर्धारण तथा परियोजना प्रबंधन की संस्थागत व्यवस्था स्थापित करने के उद्देश्य से प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग ग्रुप (PMG) का गठन किया गया है। इसके अंतर्गत परियोजना प्रबंधन इकाई कार्यरत हैं।
कम्प्यूटर दक्षता प्रमाणीकरण परीक्षा (CPCT)
राज्य शासन के विभिन्न विभागों/ संस्थाओं/ कार्यालयों में डाटा एंट्री आँपरेटर, आईटी आँपरेटर, सहायक ग्रेड-3, शीघ्रलेखक, स्टेनो टायपिस्ट तथा अन्य लिपिकीय स्तर के पदों पर संविदा-नियमित पदों के लिए कम्प्यूटर पर कार्य करने के लिए अभ्यर्थियों का चयन कम्प्यूटर दक्षता प्रमाणीकरण परीक्षा (Computer Proficiency Certification Test - CPCT) द्वारा किया जाता है। अभी तक दो परीक्षा हो चुकी हैं।
जीआईएस-2014 के बाद दो वर्ष की प्रमुख उपलब्धियाँ
15 इकाइयाँ स्थापित हुईं, जिनमें रुपये 6058 करोड़ 34 लाख का पूँजी निवेश हुआ तथा लगभग 10 हजार व्यक्ति को प्रत्यक्ष एवं लगभग 96 हजार 700 व्यक्ति को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्त हुआ। स्थापित हुई इकाइयों में रिलायंस जियो, रूरलसोर्स एवं ओम ऑप्टेल प्रमुख हैं।
33 इकाइयों के प्रकरण एक्टिव कन्सीडरेशन में हैं। इसतके 6319 करोड़ 64 लाख का पूँजी निवेश तथा 16 हजार 196 व्यक्ति को रोजगार प्राप्त होने की संभवाना है।
इन्फोसिस एवं टीसीएस की एस.ई.जेड. इकाइयाँ निर्माणाधीन हैं। इनमें रुपये 1010 करोड़ का पूँजी निवेश होगा तथा 23 हजार व्यक्ति को रोजगार प्राप्त होगा।
मोबाइल बनाने के लिये माइक्रोमैक्स को पीथमपुर में भूमि आवंटित हो गयी है तथा मेसर्स फोरस्टार कम्पनी को आई.टी. पार्क ग्वालियर में निर्मित क्षेत्र (बिल्टअप स्पेस) आवंटित किया जा चुका है।
आई.टी. इन्वेस्टमेंट पॉलिसी एवं बी.पी.ओ./बी.पी.एम. पॉलिसी के अमल से 94 इकाई को लाभान्वित किया गया।
देश के हृदय स्थल मध्यप्रदेश ने पिछले डेढ़ दशक में विकास के नये आयाम स्थापित कर विकसित राज्य की पहचान बना ली है। मध्यप्रदेश की सुशासन और विकास रिपोर्ट-2022 के अनुसार राज्य में आए बदलाव से मध्यप्रदेश बीमारू से विकसित प्रदेशों की पंक्ति में उदाहरण बन कर खड़ा हुआ है। इस महती उपलब्धि में प्रदेश में जन-भागीदारी से विकास के मॉडल ने अहम भूमिका निभाई है।
इन दिनों पूरे मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना की जानकारी देने और बहनों के फार्म भरवाये जाने के लिये विभिन्न गतिविधियाँ जारी हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं जिला स्तरीय महासम्मेलनों में बहनों को योजना के प्रावधानों से अवगत करा रहे हैं। मुख्यमंत्री पहले सम्मेलन में आई बहनों का फूलों की वर्षा कर स्वागत-अभिनंदन करते है और संवाद की शुरूआत फिल्मी तराने "फूलों का तारों का सबका कहना है-एक हजारों में मेरी बहना है" के साथ करते है। मुख्यमंत्री का यह जुदा अंदाज प्रदेश की बहनों को खूब भा रहा है।
राज्य सरकार की 03 साल की प्रमुख उपलब्धियां - एक नजर में
भोपाल। जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसे ज्वलंत मुद्दों से जूझते विश्व की पर्यावरणीय सुरक्षा के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा फ्रांस में नवम्बर 2015 में लिये गए संकल्प में मध्यप्रदेश बेहतरीन योगदान दे रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में प्रदेश ने पिछले 11 वर्षों में सोलर ऊर्जा में 54 और पवन ऊर्जा में 23 प्रतिशत की वृद्धि की है। वर्तमान में साढ़े पाँच हजार मेगावाट ग्रीन ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है। इससे एक करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है जो 17 करोड़ पेड़ के बराबर है।
भोपाल। देश के विकास में भारतवंशियों के योगदान पर गौरवान्वित होने के लिए हर साल 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है।इस बार 9 जनवरी 2023 को प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन मध्यप्रदेश की धरती इंदौर में होने जा रहा है, जो पूरे प्रदेश के लिए गौरव और सौभाग्य की बात है। देश का सबसे साफ शहर इंदौर सभी प्रवासी भारतीयों का स्वागत करने के लिए आतुर है।
मध्यप्रदेश सरकार की स्टार्ट-अप फ्रेंडली नीतियों के परिणामस्वरूप प्रदेश स्टार्टअप्स का हब बन रहा है। मध्यप्रदेश, देश के उन अग्रणी राज्यों में शामिल है, जो स्टार्ट-अप्स के लिए विश्व स्तरीय ईकोसिस्टम प्रदान करते हैं। स्टार्ट-अप ब्लिंक की रिपोर्ट के अनुसार देश में इंदौर 14वें स्थान पर और भोपाल 29वें स्थान पर है। मध्यप्रदेश के 2500 से अधिक स्टार्ट-अप भारत सरकार के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग में पंजीकृत हैं।
भोपाल। पशुपालन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश अनेक राष्ट्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन में देश में प्रथम स्थान पर है। अन्य राज्यों के लिए मध्यप्रदेश मॉडल राज्य के रूप में उभरा है।
राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम में प्रदेश में 2 करोड़ 92 लाख 51 हजार गौ-भैंस वंशीय पशु पंजीकृत हैं। इन पशुओं को यूआईडी टैग लगा कर इनॉफ पोर्टल पर दर्ज किया गया है, जो देश में सर्वाधिक है।
मध्यप्रदेश को यह गौरव हासिल है कि यह देश की सर्वाधिक जनजातीय जनसंख्या का घर है। प्रदेश का इन्द्रधनुषीय जनजातीय परिदृश्य अपनी विशिष्टताओं की वजह से मानव-शास्त्रियों, सांस्कृतिक अध्येताओं, नेतृत्व शास्त्रियों और शोधार्थियों के विशेष आकर्षण का केन्द्र रहा है। यहाँ की जनजातियाँ सदैव से अपनी बहुवर्णी संस्कृति, भाषाओं, रीति-रिवाज और देशज तथा जातीय परम्पराओं के साथ प्रदेश के गौरव का अविभाज्य अंग रही है।
मध्यप्रदेश के इन्द्रधनुषी जनजातीय संसार में जीवन अपनी सहज निश्छलता के साथ आदिम मुस्कान बिखेरता हुआ पहाड़ी झरने की तरह गतिमान है। मध्यप्रदेश सघन वनों से आच्छादित एक ऐसा प्रदेश है, जहाँ विन्ध्याचल, सतपुड़ा और अन्य पर्वत-श्रेणियों के उन्नत मस्तकों का गौरव-गान करती हवाएँ और उनकी उपत्यकाओं में अपने कल-कल निनाद से आनंदित करती नर्मदा, ताप्ती, तवा, पुनासा, बेतवा, चंबल, दूधी आदि नदियों की वेगवाही रजत-धवल धाराएँ मानो,वसुंधरा के हरे पृष्ठों पर अंकित पारंपरिक गीतों की मधुर पंक्तियाँ।
धरती पुत्र शिवराज सिंह चौहान ने जबसे प्रदेश की कमान सम्हाली है, तभी से स्वर्णिम मध्यप्रदेश के सपने को साकार करने में हर पल गुजरा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान कहते हैं कि प्रदेश के सर्वांगीण विकास में किसान की भूमिका अति महत्वपूर्ण है। उन्होंने इसी सोच के मद्देनजर किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिये निरंतर कार्य किये हैं, जो आज भी बदस्तूर जारी हैं। अपनी स्थापना के 67वें वर्ष में मध्यप्रदेश कृषि के क्षेत्र में अग्रणी प्रदेश है, जिसने कई कीर्तिमान रचते हुए लगातार 7 बार कृषि कर्मण अवार्ड प्राप्त किया है।