मध्यप्रदेश में बीते ग्यारह वर्ष आमजनों के विकास के रहे हैं, ऐसा विकास जो जन अपेक्षाओं के अनुरूप हो। प्रदेश में ऐसा विकास हुआ जिसका लाभ समाज के हर वर्ग तक पहुँचा। समाज का हर वर्ग जिसमें गरीब, कमजोर, किसान, मजदूर, महिला, बजुर्ग, युवा हैं सबने इस विकास को महसूस किया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का दूरदर्शी नेतृत्व विकास के इस अहसास के पीछे है, जिसने मध्यप्रदेश में विकास का नया अध्याय लिखा है।
मध्यप्रदेश विकास दर के मामले में देश में अव्वल बना। लगातार कई साल से विकास दर दहाई अंक में है। प्रदेश की ऐतिहासिक कृषि विकास दर ने लोगों को चमत्कृत कर दिया। लगातार चार साल से देश को राष्ट्रीय कृषि कर्मण पुरस्कार मिल रहा है। मध्यप्रदेश में ऐसी कई कल्याणकारी योजनाएँ इस अवधि में शुरू हुई, जिनकी उपयोगिता को देश-विदेश में माना गया। समाज के हर वर्ग से संवाद के लिये पंचायतों के जरिये प्रदेश में नीतियों और योजनाओं का निर्माण जनता के बीच और उनकी जरूरतों के अनुरूप करने का अद्वितीय प्रयोग किया गया। मध्यप्रदेश की जिन नवाचारी योजनाओं को राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली है, वे जनता के विभिन्न वर्गों से सम्वाद के लिये की गयी पंचायतों में मिले सुझावों से जन्मी है। बेटी बचाओ अभियान की शुरूआत देश में सबसे पहले मध्यप्रदेश में की गयी।
आम-जनता की तकलीफों को जानने-समझने की ललक से प्रदेश में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना बनी है जिसमें गरीब की बेटी के विवाह की चिंता की गयी है। लाड़ली लक्ष्मी जैसी क्रांतिकारी योजना शुरू की गयी है, जो बेटी को बोझ नहीं वरदान बनाती है। आगे जाकर इसमें केवल बेटियों के माता-पिता को पेंशन देने की व्यवस्था भी की गयी है।
मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना ऐसी योजना है जो गरीब वृद्धजनों को तीर्थ यात्रा का अवसर देती है। गरीबी के चलते जो बुजुर्ग तीर्थ यात्रा की आस मन में लिये संसार से चले जाते हैं प्रदेश सरकार उनके लिये सभी धर्मों के तीर्थों पर आस्था की रेल भेज रही है। जिससे वह तीर्थ यात्रा की इच्छा पूरी करते हैं। गरीब मजदूरों के लिये मुख्यमंत्री मजदूर सुरक्षा योजना बनायी गयी जिनमें मजदूरों के परिवारों के लिये प्रसव सहायता, चिकित्सा सहायता, शिक्षा सहायता जैसी व्यवस्थाएँ की गयी हैं। यह योजना श्रमिक कल्याण के क्षेत्र में मील का पत्थर है। ऐसी कई योजनाएँ हैं जिनका उल्लेख किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री चौहान खुद किसान पृष्ठभूमि से है इसलिये वे खेती-किसानी की जरूरतों को बेहतर तरीके से समझते हैं। इसी के चलते वे किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर कृषि ऋण दिलाने जैसी योजना की जरूरत समझकर लागू करते हैं। अब वे इससे आगे जाकर ऋणात्मक दस प्रतिशत पर कृषि ऋण देने की बात कर रहे हैं। इन्हीं कोशिशों से प्रदेश की कृषि विकास दर 24.9 प्रतिशत तक पहुँचती है और प्रदेश को चार बार राष्ट्रीय कृषि कर्मण अवार्ड मिलता है, जिसे वे सहजता से किसानों की उपलब्धि बताते हैं। खेती में सिंचाई का महत्व समझते हुए प्रदेश में लगातार सिंचाई का क्षेत्र बढ़ाने का प्रयास किया गया है। वर्षों से अधूरी सिंचाई योजनाएँ पूरी की गयी। किसानों के लिये नहर के अंतिम छोर तक पानी पहुँचाया गया। सिंचाई की क्षमता ग्यारह साल में साढ़े 7 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 40 लाख हेक्टेयर तक पहुँच गयी है। मालवा को रेगिस्तान बनने से बचाने के लिये नर्मदा-क्षिप्रा लिंक महत्वाकांक्षी नदी जोड़ो योजना पूरी की गयी हैं, जिसमें नर्मदा का पानी क्षिप्रा में डाला गया है। इस योजना से हजारों गाँवों में सिंचाई के साथ पेयजल की व्यवस्था भी होगी। यह योजना पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी की नदी जोड़ो योजना को साकार करती है।
आम लोगों को सरकारी दफ्तरों से अपने रोजमर्रा के कामों में आने वाली देरी को समझते हुए ही प्रदेश में मध्यप्रदेश में लोक सेवा गारंटी प्रदाय अधिनियम जैसा क्रांतिकारी कानून लागू किया गया। जो सेवा की समय सीमा में मिलने की गारंटी की बात करता है तथा देरी होने पर संबंधित सरकारी कर्मचारी पर जुर्माने की व्यवस्था करता है। इस अनूठे कानून को देश के कई राज्यों ने अपने यहाँ लागू किया है। इस अधिनिमय के लिये मध्यप्रदेश को संयुक्त राष्ट्र संघ का लोक सेवा अवार्ड मिला है। भ्रष्टाचार के विरूद्ध जीरो टालरेंस की प्रतिबद्धता के चलते मध्यप्रदेश विशेष न्यायालय अधिनियम लागू किया गया है, जिसमें भ्रष्ट शासकीय कर्मियों की संपत्ति को राजसात करने का प्रावधान है।
प्रदेश में हाथठेला रिक्शा चालकों को मालिक बनाने की पहल भी की गयी है। इसी तरह घरेलू कामकाजी महिलाओं के लिये परिचय पत्र और कल्याण योजनाएँ बनायी गयी हैं। दूसरी ओर मुख्यमंत्री युवा स्व-रोजगार जैसी योजना है जिसमें युवा उद्यमियों के ऋण की गारंटी राज्य सरकार की ओर से देने की व्यवस्था की गयी है। हाल ही में राज्य सरकार ने नागरिकों की जिंदगी में खुशी लाने के लिये आनंद विभाग का गठन किया है। आनंद विभाग का गठन करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है।
जन विकास के इन्हीं सकारात्मक प्रयासों को आम जनता की भरपूर सराहना और प्रतिसाद मिला है। इसी के चलते लोगों ने मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री चौहान के नेतृत्व वाली सरकार को लगातार चुना। मध्यप्रदेश इस अवधि में पिछड़े राज्यों की श्रेणी से निकलकर विकसित प्रदेशों की पंक्ति में आ गया है और विकास की यह उड़ान अभी थमी नहीं है, सतत जारी है।
देश के हृदय स्थल मध्यप्रदेश ने पिछले डेढ़ दशक में विकास के नये आयाम स्थापित कर विकसित राज्य की पहचान बना ली है। मध्यप्रदेश की सुशासन और विकास रिपोर्ट-2022 के अनुसार राज्य में आए बदलाव से मध्यप्रदेश बीमारू से विकसित प्रदेशों की पंक्ति में उदाहरण बन कर खड़ा हुआ है। इस महती उपलब्धि में प्रदेश में जन-भागीदारी से विकास के मॉडल ने अहम भूमिका निभाई है।
इन दिनों पूरे मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना की जानकारी देने और बहनों के फार्म भरवाये जाने के लिये विभिन्न गतिविधियाँ जारी हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं जिला स्तरीय महासम्मेलनों में बहनों को योजना के प्रावधानों से अवगत करा रहे हैं। मुख्यमंत्री पहले सम्मेलन में आई बहनों का फूलों की वर्षा कर स्वागत-अभिनंदन करते है और संवाद की शुरूआत फिल्मी तराने "फूलों का तारों का सबका कहना है-एक हजारों में मेरी बहना है" के साथ करते है। मुख्यमंत्री का यह जुदा अंदाज प्रदेश की बहनों को खूब भा रहा है।
राज्य सरकार की 03 साल की प्रमुख उपलब्धियां - एक नजर में
भोपाल। जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसे ज्वलंत मुद्दों से जूझते विश्व की पर्यावरणीय सुरक्षा के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा फ्रांस में नवम्बर 2015 में लिये गए संकल्प में मध्यप्रदेश बेहतरीन योगदान दे रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में प्रदेश ने पिछले 11 वर्षों में सोलर ऊर्जा में 54 और पवन ऊर्जा में 23 प्रतिशत की वृद्धि की है। वर्तमान में साढ़े पाँच हजार मेगावाट ग्रीन ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है। इससे एक करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है जो 17 करोड़ पेड़ के बराबर है।
भोपाल। देश के विकास में भारतवंशियों के योगदान पर गौरवान्वित होने के लिए हर साल 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है।इस बार 9 जनवरी 2023 को प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन मध्यप्रदेश की धरती इंदौर में होने जा रहा है, जो पूरे प्रदेश के लिए गौरव और सौभाग्य की बात है। देश का सबसे साफ शहर इंदौर सभी प्रवासी भारतीयों का स्वागत करने के लिए आतुर है।
मध्यप्रदेश सरकार की स्टार्ट-अप फ्रेंडली नीतियों के परिणामस्वरूप प्रदेश स्टार्टअप्स का हब बन रहा है। मध्यप्रदेश, देश के उन अग्रणी राज्यों में शामिल है, जो स्टार्ट-अप्स के लिए विश्व स्तरीय ईकोसिस्टम प्रदान करते हैं। स्टार्ट-अप ब्लिंक की रिपोर्ट के अनुसार देश में इंदौर 14वें स्थान पर और भोपाल 29वें स्थान पर है। मध्यप्रदेश के 2500 से अधिक स्टार्ट-अप भारत सरकार के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग में पंजीकृत हैं।
भोपाल। पशुपालन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश अनेक राष्ट्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन में देश में प्रथम स्थान पर है। अन्य राज्यों के लिए मध्यप्रदेश मॉडल राज्य के रूप में उभरा है।
राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम में प्रदेश में 2 करोड़ 92 लाख 51 हजार गौ-भैंस वंशीय पशु पंजीकृत हैं। इन पशुओं को यूआईडी टैग लगा कर इनॉफ पोर्टल पर दर्ज किया गया है, जो देश में सर्वाधिक है।
मध्यप्रदेश को यह गौरव हासिल है कि यह देश की सर्वाधिक जनजातीय जनसंख्या का घर है। प्रदेश का इन्द्रधनुषीय जनजातीय परिदृश्य अपनी विशिष्टताओं की वजह से मानव-शास्त्रियों, सांस्कृतिक अध्येताओं, नेतृत्व शास्त्रियों और शोधार्थियों के विशेष आकर्षण का केन्द्र रहा है। यहाँ की जनजातियाँ सदैव से अपनी बहुवर्णी संस्कृति, भाषाओं, रीति-रिवाज और देशज तथा जातीय परम्पराओं के साथ प्रदेश के गौरव का अविभाज्य अंग रही है।
मध्यप्रदेश के इन्द्रधनुषी जनजातीय संसार में जीवन अपनी सहज निश्छलता के साथ आदिम मुस्कान बिखेरता हुआ पहाड़ी झरने की तरह गतिमान है। मध्यप्रदेश सघन वनों से आच्छादित एक ऐसा प्रदेश है, जहाँ विन्ध्याचल, सतपुड़ा और अन्य पर्वत-श्रेणियों के उन्नत मस्तकों का गौरव-गान करती हवाएँ और उनकी उपत्यकाओं में अपने कल-कल निनाद से आनंदित करती नर्मदा, ताप्ती, तवा, पुनासा, बेतवा, चंबल, दूधी आदि नदियों की वेगवाही रजत-धवल धाराएँ मानो,वसुंधरा के हरे पृष्ठों पर अंकित पारंपरिक गीतों की मधुर पंक्तियाँ।
धरती पुत्र शिवराज सिंह चौहान ने जबसे प्रदेश की कमान सम्हाली है, तभी से स्वर्णिम मध्यप्रदेश के सपने को साकार करने में हर पल गुजरा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान कहते हैं कि प्रदेश के सर्वांगीण विकास में किसान की भूमिका अति महत्वपूर्ण है। उन्होंने इसी सोच के मद्देनजर किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिये निरंतर कार्य किये हैं, जो आज भी बदस्तूर जारी हैं। अपनी स्थापना के 67वें वर्ष में मध्यप्रदेश कृषि के क्षेत्र में अग्रणी प्रदेश है, जिसने कई कीर्तिमान रचते हुए लगातार 7 बार कृषि कर्मण अवार्ड प्राप्त किया है।